प्रभु हनुमान जी का जाखू मंदिर: एक दिव्य स्थान
जाखू मंदिर में भगवान हनुमान जी की 108 फीट ऊँची भव्य मूर्ति स्थित है, जो वाकई में दर्शनीय है। यह मूर्ति न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को एक शक्तिशाली आशीर्वाद का अहसास भी कराती है। भक्तजन अपनी परेशानियों और कठिनाइयों से छुटकारा पाने के लिए यहाँ पर आते हैं और हनुमान जी से आशीर्वाद मांगते हैं। नियमित रूप से मंदिर में पूजा-अर्चना होती है, और विशेष अवसरों पर बड़े उत्सवों का आयोजन किया जाता है।
webdevelopers.online
10/9/20241 min read


प्रभु हनुमान जी का जाखू मंदिर: एक दिव्य स्थान
शिमला की ऊँचाईयों में, प्रकृति की गोद में बसा हुआ जाखू मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भक्ति, श्रद्धा और आस्था का प्रतीक भी है। यह मंदिर प्रभु हनुमान जी को समर्पित है और हिमाचल प्रदेश के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।
🌄 जाखू पर्वत की ऊँचाई पर विराजमान
2,455 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर, शिमला की सबसे ऊँची चोटी पर स्थित है। यहाँ पहुँचते ही एक अद्भुत शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है — जैसे प्रभु हनुमान स्वयं अपनी दिव्य उपस्थिति से वातावरण को पावन बना रहे हों।
📜 पौराणिक कथा से जुड़ा एक ऐतिहासिक स्थल
जब राम-रावण युद्ध चरम पर था, तभी रावण के पुत्र मेघनाद ने भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण पर शक्तिबाण चलाया, जिससे वे अचेत होकर मरणासन्न हो गए।
राजवैद्य सुषेण ने लक्ष्मण की स्थिति देखकर कहा कि उन्हें बचाने के लिए केवल एक उपाय है — संजीवनी बूटी, जो हिमालय की द्रोण पर्वत पर पाई जाती है।
भगवान हनुमान जी को यह दायित्व मिला कि वे शीघ्र जाकर संजीवनी बूटी लाएँ।
हनुमान जी तीव्र गति से हिमालय की ओर उड़ चले। इसी दौरान जब वे शिमला के आकाश से गुजर रहे थे, तो उन्होंने एक ऋषि को तपस्या करते हुए देखा। वे कुछ समय आराम करने और दिशा पूछने के लिए उसी पर्वत पर उतरे।
यह वही स्थान था — जाखू पर्वत, जहाँ आज जाखू मंदिर स्थित है।
ऋषि याकर्या ने हनुमान जी को संजीवनी बूटी की दिशा बताई। कहते हैं, जब हनुमान जी यहाँ से उड़े, तो उनकी विशाल आकृति के कारण पहाड़ी पर गहरा निशान पड़ गया।
इस स्थान को हनुमान जी के चरणों की छाया के रूप में देखा जाने लगा, और कालांतर में इसी स्थान पर जाखू मंदिर की स्थापना हुई।
मान्यता है कि जब प्रभु हनुमान जी संजीवनी बूटी की खोज में हिमालय की ओर बढ़ रहे थे, तब उन्होंने यहीं पर कुछ समय विश्राम किया था। कहा जाता है कि इस स्थान पर उनके पावन चरणों के चिह्न भी हैं। यही कारण है कि यह स्थान भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा का केन्द्र है।
🗿 108 फीट ऊँची हनुमान प्रतिमा
इस मंदिर की सबसे विशेष बात है यहाँ स्थित 108 फीट ऊँची भगवान हनुमान जी की मूर्ति, जो आकाश को छूती प्रतीत होती है। यह प्रतिमा न केवल धार्मिक प्रतीक है, बल्कि यह भव्यता, सामर्थ्य और भक्ति का भी अद्वितीय उदाहरण है। दूर-दूर से लोग केवल इस प्रतिमा के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं।
🌲 प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति का संगम
मंदिर के चारों ओर फैले घने देवदार के जंगल, ठंडी पहाड़ी हवा और पक्षियों की मधुर आवाज — सब मिलकर एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं। यहाँ आने वाला हर व्यक्ति खुद को ईश्वर के और अधिक समीप महसूस करता है।
🚡 आधुनिक सुविधाएँ: रोपवे और एस्केलेटर
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अब यहाँ जाखू रोपवे और बाहरी एस्केलेटरों की व्यवस्था भी है, जिससे वृद्ध और बच्चे भी आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। यह सुविधा इस पवित्र स्थल की सुलभता और सेवा भावना को दर्शाती है।
🎉 त्योहारों की भव्यता
दशहरा, दीवाली, हनुमान जयंती और नवरात्रि जैसे पर्वों पर यहाँ भव्य आयोजन होते हैं। झाँकियाँ, आरती, भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से पूरा वातावरण भक्ति रस में डूबा होता है।
🕊️ श्रद्धालुओं के लिए सुझाव
बंदरों से सावधानी बरतें, चश्मा या खाद्य पदार्थ खुले में न रखें।
मंदिर परिसर में शांति बनाए रखें।
श्रद्धा भाव से पूजा करें और प्रभु हनुमान जी के दर्शन से आत्मिक शांति प्राप्त करें।
🔔 ...
प्रभु हनुमान जी का जाखू मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है — जहाँ व्यक्ति अपने भीतर की शक्ति और विश्वास को पुनः जागृत करता है।
यदि आप कभी शिमला जाएँ, तो इस पवित्र धाम के दर्शन अवश्य करें। यहाँ की वायु में भक्ति है, हर धड़कन में राम का नाम है और हर पत्थर में प्रभु हनुमान की कृपा का एहसास होता है।
प्रभु हनुमान जी का जाखू मंदिर
ऐसी मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण, रावण के पुत्र मेघनाद द्वारा युद्ध में मूर्छित हो गए थे, तब भगवान हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में द्रोणागिरी पर्वत जा रहे थे। इसी दौरान वे जाखू पहाड़ी पर कुछ समय के लिए रुके थे।
जय श्री राम !!
© 2024. All rights reserved.


ॐ हं हनुमते नम:
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्
ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा
ॐ नमो हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा
Developed by :